क्या टुटने के डर से मेरे ख्वबों को तोड़ दूं
बीच राह मेंं सभी ख्वाहिशोंं को छोड़ दूं
माना राह मेंं आंधी है मुश्किलें हैं तो
गिरने के डर से चलना छोड़ दूं
वादा किया है मंजिलों से मैं आऊंगा जरूर
कैसे मैं उस वादे को तोड़ दूं
शिकस्त भी बहुत कुछ सिखा जाती है
अब कहो कि मैं सिखना छोड़ दूं

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