तू खुद की खोज मेंं निकल
तू किस लिए हताश है
तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
            जो तुमसे लीपटी बेड़ीयां
             समझ ना इनको वस्त्र तु
ये बेड़ियां पिघला के
बना ले इनको शस्त्र तू
             चरित्र जब पवित्र है
             तो क्यों है ये दशा तेरी
ये पापियों को हक नही कि
लें परिक्षा तेरी
                  जला के भष्म कर दे
                  जो कुरूर्ता का जाल है
तू आरती की लौ नहीं
तू जंग की मशाल है

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