वक्त की गहराई इस दिल को महसूस हो रही है
बिना जाने किस कदर ये जिंदगी महसूस हो रही है
वक्त को हराकर हर मंजिल को पाना है
कल की परवाह छोड़ इस लम्हे को जाना है
ना जाने ये जिंदगी कब हम से रूठ जायेगी
मुट्ठी भर रेत की तरह ना जाने कब छुट जायेगी
रख हौसला तु आसमान छु जाने की
रख यकीन तु मंजर को अपना बनाने का
मत हारना ये हौसला कभी 
होंगी पुरी तेरी ख्वाहिशें सभी 
कहतेंं हैं ना, मिल ही जायेगी मंजिल 
भटकते सही क्योंकि  गुमराह तो वों हैं
जो कभी घर से निकले ही नहीं

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