मेडिकल शाप वाले की बेटी बनी ias
     
यूपीएससी की परीक्षा में भोपाल की रानी बंसल ने 64वीं रैंक हासिल की. मेडिकल शॉप संचालक की बेटी रानी बंसल के लिए सफलता की राह आसान नहीं थी. लाखों रुपयों की नौकरी और परिवारों की उम्मीद के बीच रानी ने तीन साल की कठिन तपस्या के बाद यह मुकाम हासिल किया.
मेडिकल शॉप संचालक

यूपीएससी की परीक्षा में भोपाल की रानी बंसल ने 64वीं रैंक हासिल की. मेडिकल शॉप संचालक की बेटी रानी बंसल के लिए सफलता की राह आसान नहीं थी. लाखों रुपयों की नौकरी और परिवारों की उम्मीद के बीच रानी ने तीन साल की कठिन तपस्या के बाद यह मुकाम हासिल किया.
रानी के पिता राजेंद्र गुप्ता मेडिकल शॉप का संचालन करते हैं. उन्होंने बेटी के आईएएस बनने के ख्वाब को हकीकत में बदलने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया. रानी ने दो साल तक दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी की. फिर इस साल भोपाल आ गई और यहां मिले प्रशिक्षण से यूपीएससी में 64वीं रैंक हासिल की.
इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन, फिलॉसफी की पढ़ाई
रानी ने भोपाल के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया. हालांकि, इंजीनियरिंग उनकी मंजिल नहीं थीं. वह तो आंखों में बस आईएएस बनने का सपना लिए हुई थी. इसलिए यूपीएसपी परीक्षा के लिए उन्होंने इंजीनियरिंग के बजाए फिलॉसफी को सब्जेक्ट के रुप में चुना. रानी बताती है कि इंजीनियरिंग में काफी प्रतिस्पर्धा होने की वजह से उन्होंने यह सब्जेक्ट चुना.
5 लाख रुपए की नौकरी छोड़ी
रानी को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही कैंपस सिलेक्शन में 5 लाख रुपए की नौकरी मिल गई थी. देश की प्रमुख कंपनियों में शुमार एलएंडटी ने उन्हें नौकरी ऑफर की थीं. रानी की प्रतिभा को देखते हुए कंपनी का नौकरी ज्वाइन करने के लिए काफी दबाव था. कंपनी किसी भी हालत में रानी जैसी प्रतिभाशाली छात्रा को अपनी कंपनी का हिस्सा बनाना चाहती थी. कंपनी के दबाव और अच्छी नौकरी का ऑफर भी रानी को अपने इरादों से डिगा नहीं सका. उसने कंपनी को इनकार करते हुए खुद को आईएएस की तैयारियों में झोंक दिया.
दादा की लाड़ली, पोती ने पूरी की उम्मीद
रानी के उम्रदराज दादा को भी पोती से काफी उम्मीदें थी. वह रानी को हर कदम पर सपोर्ट करते थे और उसे प्रोत्साहित करते थे. रानी के पिता बताते है कि कुछ समय पहले उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई. उम्र काफी होने की वजह से कई बार लगा कि उनका हाथ हमारे सिर से उठ जाएगा. परिवार की बैचेनी और खुद की खराब तबीयत होने के बावजूद दादा ने कहा था कि घबराने की कोई जरुरत नहीं है. उन्होंने कहा था कि मैं पोती के आईएएस बनने के बाद ही जाऊंगा. आज उनकी इच्छा पूरी हो गई है.


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