प्रणव मुखर्जी का जीवन परिचय|

Indian President Pranab Mukherjee biography in hindi भारत की आजादी के बाद 1950 में जब सविधान लागु हुआ, उसके बाद से देश में राष्ट्रपति का चुनाव होने लगा. भारत में अभी तक 13 राष्ट्रपति सत्ता में आ चुके है, वर्तमान में 13वें राष्ट्रपति के रूप में महामहिम प्रणव मुखर्जी विराजमान है. सन 2012 से वे इस पद की गरिमा बनाये हुए है. प्रणव जी भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले मनमोहन सिंह की सरकार में वित्त मंत्री थे. प्रणव जी भारत के आर्थिक मामलों, संसदीय कार्य, बुनियादी सुविधाएँ व् सुरक्षा समिति में वरिष्ठ नेता थे. उन्होंने विश्व व्यापार संघठन व् भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण क्षेत्र में भी कार्य किया था, जिसका अनुभव उन्हें भारत की राजनैतिक सफ़र में बहुत काम आया. 2009 से 2012 तक वे देश के वित्त मंत्री रहे. राजनैतिज्ञ के अलावा प्रणव जी एक बहुत अच्छे सामाजिक कार्यकर्त्ता भी है, वे हमेशा काम के प्रति वफादार और सक्षम प्रकति के रहे है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विकास के लिए उनका जूनून देखते ही बनता है.

प्रणव मुखर्जी का जीवन परिचय
Pranab Mukherjee biography hindi


क्रमांक जीवन परिचय बिंदु प्रणव मुखर्जी जीवन परिचय
1. पूरा नाम प्रणव मुखर्जी
2. धर्म बंगाली
3. जन्म 11 दिसंबर, 1935
4. जन्म स्थान वीरभूम, बंगाल
5. माता-पिता राजलक्ष्मी मुखर्जी, कामदा किंकर मुखर्जी
6. विवाह सुरवा मुखर्जी (1957)
7. बच्चे 1.      अभिजित (बेटा)
2.      शर्मिष्ठा (बेटी)

3.      इन्द्रजीत (बेटा)

8. राजनैतिक पार्टी कांग्रेस
भारत देश के आज के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर, 1935 में बंगाल के वीरभूम जिले के मिरती गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी था. वे एक स्वतंत्रता संग्रामी थे और 1952-64 तक बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे. माताजी का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था. घर में राजनैतिक माहोल होने की वजह से बचपन से ही प्रणव मुखर्जीजी का मन राजनीती में आने का था. प्रणव मुखर्जीजी ने सूरी(वीरभूम) के सूरी विद्यासागर कॉलेज से राजनीती शास्त्र एवं इतिहास में स्नातक किया था. इसके बाद इन्होंने कानून की पढाई कलकत्ता यूनिवर्सिटी से की थी.

प्रणव मुखर्जी करियर व् राजनैतिक सफ़र –

अपने करियर की शुरुवात प्रणव मुखर्जीजी ने पोस्ट एंड टेलेग्राफ़ ऑफिस से की थी जहां वे एक क्लर्क थे. 1963 में विद्यानगर कॉलेज में वे राजनीती शास्त्र के प्रोफेसर बन गए और साथ ही साथ देशेर डाक  में पत्रकार के रूप में कार्य करने लगे. प्रणव मुखर्जी जी ने राजनैतिक सफ़र की शुरुवात 1969 में की. वे कांग्रेस का टिकट प्राप्त कर राज्यसभा के सदस्य बन गए, 4 बार वे इस पद के लिए चयनित हुए. वे थोड़े ही समय में इंदिरा जी के चहेते बन गए थे. सन 1973 में इंदिरा जी के कार्यकाल के दौरान वे औद्योगिक विकास मंत्रालय में उप-मंत्री बन गए. 1975-77 में आपातकालीन स्थिति के दौरान प्रणव मुखर्जीजी पर बहुत से आरोप भी लगाये गए. लेकिन इंदिरा जी की सत्ता आने के बाद उन्हें क्लीन चिट मिल गया.
इंदिरा जी की मौत के पश्चात् राजीव गाँधी से प्रणव जी के संबंध कुछ ठीक नहीं रहे और राजीव गाँधी ने अपने कैबिनेट मंत्रालय में प्रणव जी को वित्त मंत्री बनाया था. लेकिन राजीव गाँधी से मतभेद के चलते प्रणव दा ने अपनी एक अलग “राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस” पार्टी गठित कर दी. 1985 में प्रणव जी पश्चिम बंगाल कांग्रेस समिति के अध्यक्ष भी रहे. थोड़े समय के बाद 1989 में राजीव गाँधी के साथ सुलह हो गई और वे एक बार फिर कांग्रेस से जुड़ गए. कुछ लोग इसके पीछे की वजह ये बोलते थे कि इंदिरा गाँधी की मौत के बाद प्रणव जी खुद को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में देखते थे, लेकिन उनकी मौत के बाद राजीव गाँधी से सब उम्मीद करने लगे. पी वी नरसिम्हा राव का प्रणव मुखर्जीजी के राजनैतिक जीवन को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान है. पी वी नरसिम्हा रावजी जब प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने प्रणव मुखर्जीजी को योजना आयोग का प्रमुख बना दिया. थोड़े समय बाद उन्हें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विदेश मंत्रालय का कार्य भी सौंपा गया.

सन 1999 से 2012 तक प्रणव मुखर्जी जी केंद्रीय चुनाव आयोग के अध्यक्ष रहे. 1997 में प्रणव मुखर्जीजी को भारतीय संसद ग्रुप द्वारा उत्कृष्ट सांसद का ख़िताब दिया गया. जब सोनिया गाँधी ने राजनीती में आने का सोचा तो प्रणव मुखर्जीजी उनके मेंटर बने और उन्हें बताया कि कैसे उनकी सास इंदिरा जी काम किया करती थी. सोनिया गाँधी को कांग्रेस प्रमुख बनाने में प्रणव मुखर्जीजी का बहुत बड़ा हाथ है. राजनीती के सारे दाव पेंच सोनिया को प्रणव जी ने ही सिखाये थे.



Kuldeepmy.blogspot.com

Comments

Popular posts from this blog

वनस्पति नाम

ias biography शेना अग्रवाल

स्वामी विवेकानन्द