Struggle कविता

जो करते हैं मेहनत भाई,
उन्ही की किस्मत है खुल पायी.
बिना परिश्रम के तो किसी ने,
सफलता की है राह न पायी.

नन्ही सी चिड़िया को देखो,
बना रही है जो घर अपना.
बिना परिश्रम के तो भाई,
जीवन हो जाता है सपना.

इक नन्ही चींटी से सीखो,
जो न कभी भी हार मानती,
अपने से दस गुना बोझ को,
मुख थामे दीवार लांघती.

आलस की चादर उतार दो,
जीवन का बस यही धर्म है.
मेहनत करते चलते रहो,
जीवन का बस यही कर्म है.

Comments

Popular posts from this blog

ias biography शेना अग्रवाल

वनस्पति नाम

स्वामी विवेकानन्द